438 Days In Pacific Occean
आप बस ये सोच कर देखिए की,आपको पूरा एक महीना अकेले बिताना है। ना आपके साथ कोई बात करने होगा, ना ही तो आपका मोबाइल फ़ोन आपके पास होगा और ना ही इंटरनेट। यहाँ तक की आपके अपने भी आपके साथ ना हो...भला ऐसा जीवन जीने के बारे कोई कैसे सोच सकता है।
ऐसा हम कभी सपने में भी नहीं सोच सकते, क्यूँ की हमें अब इन सब चीजों की आदत हो चुकी है और ये आदत हमारी लत बन चुकी है। हम इन सारी चीजों में इतने ज्यादा घुल मिल गए है...चाहे वो "मोबाइल' हो या "परिवार का खूबसूरत एहसास' या तो "दोस्तों के मज़े करना", इनके बगैर एक पल का भी जीना हम से कतई नहीं होगा।
लेकिन आज मेरे आर्टिकल द्वारा एक ऐसे शख्स के बारे में जानकारी आप लोगो के साथ Share कर रहा हु, जिसने किस तरह दुनिया के बड़े महासागर कहे जाने वाले प्रशांत महासागर में पुरे 438 दिन तक अकेले बिताए। उस वक्त उसके पास ना ही तो कोई मोबाइल फ़ोन था और ना ही बात करने के लिए कोई साथी। मगर फिर भी उस शख्स ने हम सभी को ये उदाहरण दे दिया की, जिंदगी जीने के लिए किसी उपकरण या किसी के साथ के लिए मोह ताज होने की ज़रूरत नहीं है।
प्रशांत महासागर जो की धरती का सबसे बड़ा महासागर है। जिसने 30% धरती का हिस्सा पानी से कब्ज़ा कर रखा है। जिसकी वजह से पृथ्वी को Blue Planet भी कहा जाता है। ये समुद्र इतना विशाल है की,अगर धरती की सारी ज़मीन को हम इस महासागर में मिला दे, फिर भी ये इसका मुकाबला नहीं कर पाएगा। इतने बड़े समुद्र में अगर कोई ग़लती से भी खो जाएं तो,उसका मिलना या वापस आना लगभग ना मुमकिन जायेगा।
Salvador Alvarenga नामक इस व्यक्ति ने ना चाहते हुए भी ये वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। वो पुरे 438 दिनों तक जीवित कैसा रहा। जहाँ उसके ऊपर छत भी नसीब नहीं थी। लेकिन फिर भी उसने अपनी Life कैसे बचाई।
ये बात है Maxico 2012 की, Alvarenga एक बहुत बेहतरीन फिशर था। एक दिन Nov-2012 की सुबह Alvarenga और उस का एक साथी छोटी सी मोटर बोट लेकर Costa Azul नाम के गांव से निकल पड़े। उन दोनों क लगा था की,30 घंटे की तक फिशिंग करके वापस लौट जायेंगे, क्यूँ की उनके पास जो बोट थी वो काफी छोटी थी और लम्बे समय तक पानी में रहने के लिए उसमे सामान भी कम था।
वो बोट सिर्फ ७ मीटर लंबी थी। उस बोट को ऊपर छत भी नहीं थी। उसमे सिर्फ एक मोटर और एक छोटा Portable Refrigerator था...जो उन्होंने पकड़ी हुई मछली रखने के लिए था। जब वो समंदर के बीचो बीच जाने के बाद उन्हें पता चल गया था की,तूफान आने वाला है। लेकिन उन्होंने Risk लेकर सोचा की,तूफान आने से पहले वापस पहुंच जाएंगे,तो उनका हफ्तों का खर्च निकल जाएगा।
अब वो लगभग किनारे से 100-120 किलोमीटर समुद्र के अंदर जा चुके थे और अचानक वहाँ तूफान शुरू हो जाता है। दरअसल तूफान उनके अनुमान के पहले आ गया था। इसी दौरान उनकी बोट उनके कंट्रोल से बाहर होने लगी और देखते ही देखते उनकी बोट उस खतरनाक महासागर के घमासान तूफान में चपेट में आ गई। उन दोनों ने फटाफट अपनी बोट की चीजों को समुद्र में फेंकना शुरू किया ताकी बोट में ज्यादा वजन न रहे और उनको किनारे की तरफ आने में आसानी हो।
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| Pacific Ocean |
उन्होंने पूरी जान लगाकर कैसे तैसे रात 12 बजे से सुबह 6 -7 बजे अपनी नाव को किनारे की तरफ ले जाने की कोशिश की और वो कामयाब भी हो गए। उनकी बोट किनारे से केवल 20 से 25 किलोमीटर नज़दीक थी। उनको अपनी मंज़िल यानि की किनारा साफ साफ दिखाई दे रहा था। लेकिन इसी बीच उनकी नाव के मोटर से धुँवा निकलने लगा और फिर उन्होंने बोट से अपना संतुलन पूरी तरह से खो दिया,क्यूँ की मोटर के बंद होने की वजह से वो लोग मोटर को संभाल पाने में सक्षम नहीं हो पाएं।
दरअसल उनकी बोट में कोई Alternative नहीं था। मतलब मोटर की बंद होने की वजह से वो बोट को दिशा नहीं दे सकते थे। यही से उनकी ज़िंदगी भी बदलने वाली थी। उस भयंकर समुद्र के तूफान ने उनकी छोटी सी बोट को अपनी तरफ खींचना शुरू किया। लेकिन अभी भी उनकी बोट में लगा हुआ रेडियो चल रहा था और इसी की मदत से Alvarenga अपने बॉस को सिग्नल भेजने ही वाला था की,रेडियो की बैटरी भी ख़तम हो जाती है।
हम सभी को ये किसी फिल्म की कहानी जैसा लग रहा होगा। लेकिन सोचिए की,उन दोनों पर उस वक्त क्या बीत रही होगी। अपनी मंज़िल के इतने करीब आने के बाद भी वो उसे पा न सके। इस बात से उन्हें कैसा लगा होगा क्यूँ की अब वो लोग अपनी मंज़िल से बहुत दूर भटक गए थे।
Alvarenga के बॉस ने कही महीनों तक उन्हें ढूंढने की कोशिश की यहाँ तक की उस महासागर में जितने भी फिशिंग बॉर्डर थे। उन सभी जगह तक उनकी तलाश की... लेकिन उनका कुछ भी पता नहीं चला। दरअसल Alvarenga और उसका दोस्त उस समुद्र के बीचो बीच चले गए थे। पुरे 5 दिन के इस महासागर के तूफान ने उन दोनों को किनारे से 450 से 600 किलोमीटर तक अंदर धकेल दिया था।
उनके चारों तरफ बस एक ही नज़ारा दिखाई दे रहा था और वो था सिर्फ पानी और उनकी बोट भी उस बड़े से महासागर में इतनी छोटी थी की, अगर ऊपर से कोई हवाई जहाज़ भी गुजरता तो वो उनकी बोट को देख नहीं पाते। अब उन दोनों को लगने लगा की,वो मरने वाले है क्यूँ की उनके पास ना ही खाने के लिए सही खाना था और ना ही पीने का पानी।
लेकिन फिर भी उन्होंने बिना हार माने जीने का फैसला कर लिया। इसीलिए उन्होंने समुद्र से मछली और पंछियों जैसे जीवों को मार कर कच्चा खाना शुरू कर दिया। लेकिन उनके पास पीने के लिए ज़रा भी पानी नहीं था और वो इस बात अच्छी तरह जानते थे की ,हम लोग समुद्र का पानी चाह कर भी नहीं पी सकते क्यूँ की उसमे सोडियम होता है और अगर ज्यादा मात्रा में हम ये खारा पानी पीयेंगे तो मर सकते है।
इस सभी के दौरान पानी में तैरते हुए उनके बोट के पास एक प्लास्टिक की बोतल आ जाती है और वो उस बोतल को ले लेते है और उसी से बारिश के पानी को स्टोर करके अपने पीने के लिए के लिए इस्तेमाल किया करते थे। अगर ज्यादा देर तक उनको बारिश का पानी का नहीं मिलता तो उनको समुद्री जीवों का खून निकाल कर पीना पड़ता था क्यूँ की उस में जीने के लिए ज़रूरी मिनरल्स होते है।
लेकिन बाद में बारिश के ख़तम होने के बाद वो लोग समुद्री जीव और कछुए को मार कर उनका खून पीना शुरू कर देते है। पर जब उनको समुद्री जीव और अन्य जीव नहीं मिलते तब उन दोनों को अपना खुद का पेशाब तक पीना पड़ा था क्यूँ की उन्हें पता था अगर वो ऐसा नहीं करेंगे तो उन्हें जीने में मुश्किल हो सकती है। लेकिन ऐसा करना भी किसी इंसान के लिए अच्छा नहीं है, क्यूँ की वो दोनों उसी चीज को फिर से अपने अंदर डाल रहे थे।
ऐसा करना प्राकृतिक हिसाब से सही नहीं होता क्यूँ की पेशाब एक ऐसी चीज है। जो हमारा शरीर इसे फ़िल्टर करके बाहर निकलता है। अगर फिर से कोई उसे अपने अंदर ले लेता है तो इसका उस इंसान की किडनी पर बुरा असर हो सकता है। लेकिन समुद्र के पानी से तो उनके लिए ये उपयोगी था।
वो दोनो किसी तरह ज़िंदा रहकर किसी बड़े जहाज़ के आने का इंतजार कर रहे थे। उनका खाना पीना और बाकी सारी चीजें सिर्फ एक छोटी सी बोट पर शुरू था। सच में इस चीज के बारे में हम सोच भी नहीं सकते की,कैसे कोई इस तरह भी जीने की उम्मीद को कायम रख सकता है।
अब उन दोनों को कई महीने हो गए है और उनके दिमाग पर भी इसका बुरा असर पड़ना शुरू हो जाता है। ऐसे में Alvarenga के दोस्त की हालत ख़राब होने लगती है क्यूँ की अब धीरे धीरे वो जीने की उम्मीद छोड़ रहा होता है। उसे लगता है उन को यहाँ कोई बचाने नहीं आएगा और ऐसे में उसके साथ अजीब अजीब चीजें होना शुरू हो जाती है।
दरअसल उसे Hellusination होना शुरू हो जाता है। उस मे उसे लगता है जैसे वो मर रहा है। कभी कभी तो उसे सांस लेने में भी तकलीफ़ होने लगती है और कभी कभी तो वो अपने आप को चाकू से मार रहा होता है। ये सब देखकर Alvarenga परेशान होने लगता है। उसे लगता है अब अगर यहाँ से उन्हें कोई लेने नहीं पहुँचा तो उसके दोस्त की जान को ख़तरा हो सकता है।
दोस्तों Hellusination एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है जो की इंसान को बहुत ज्यादा टेंशन या मानसिक तनाव की वजह होने लगता है। इसीलिए हमारी जीवन में चाहे कैसी भी परिस्थिति आए ,हमेशा बुरे परिस्थिति से लड़ भिड़ कर उसका निवारण करना सीखना चाहिए क्यूँ की बुरा वक्त हर किसी के ज़िंदगी कुछ पल के ज़रूर आता है मगर कुछ वक्त बाद चला भी जाता है।
इसी दौरान Alvarenga का दोस्त खाना पीना छोड़ देता है क्यूँ की अब वो पूरी तरह से जान चुका होता है,अब उन्हें वहाँ बचाने कोई आने वाला नहीं और कुछ दिनों में उसकी मौत हो जाती है। इन सभी में Alvarenga चाहते हुए भी अपने दोस्त को बचा नहीं पाता और इस बात का उसे बेहद दुःख होता है। अब Alvarenga ने अपने दोस्त की बॉडी को उसी समुद्र को समर्पित कर दिया और अब वो इस विशाल महासागर में बिलकुल अकेला रह गया था।
अब तक Alvarenga विशाल समुद्र के बीचो बीच जा चुका था। जहाँ बड़ी मुश्किल से कोई जहाज़ आता है। तभी अचानक Alvarenga के सामने से Cargo Ship जा रहा होता है। तब Alvarenga बहुत खुश होता है। वो उस Ship की तरफ बहुत आवाजें लगता है,इशारे करता है.लेकिन उस Ship का Pilot उसे देख कर भी अन देखा करता है और आगे चला जाता है। इस बात से Alvarengaबहुत दुखी होता है क्यूँ की उसे लगा था की,अब वो फिर से है अपने घर जा सकता है।
अब Alvarenga निराश हो चुका है लेकिन वो जीना चाहता है क्यूँ की उसने जीने की उम्मीद अभी भी नहीं छोड़ी है और अब Alvarenga वहाँ से अपनी छोटी सी नाव से आगे बढ़ने लगता है। करीब करीब पुरे 10 महीने का सफर कर ने के बाद Alvarenga काफी दूर पहुंच गया। इस सफर में उसे धुप,बारिश,तूफान,अकेलापन,भूख,प्यास जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। जिसके बगैर कोई भी इंसान बस कुछ ही दिनों तक जीवित रह सकता है।
14 महीने में अब तक Alvarenga ने मात्र छोटी सी बोट के सहारे लगभग ११,००० km का सफर तय किया था। पूरा सफर ख़तम करने के बाद जब Alvarenga महासागर के एक जगह पहुंचा तो उस देखा की उस के आस पास पानी में कुछ नारियल तैर रहे है और कुछ पंछी घूम रहे है। ये नज़ारा देख कर Alvarenga के चेहरे पर फिर से एक बार जीने की उम्मीद जाग गयी।
Alvarenga एक अनुभवी फिशर था इसीलिए वो ये बखूबी जनता था की इस विशाल महासागर में उसे एक ही चीज बचा सकती है और वो है उसकी जीने की हिम्मत। जो इंसान को जीने के लिए प्रेरित करती है। इसीलिए अपने दोस्त को खोने के बाद भी अकेले इस महासागर में कई सारी परिस्थियों का सामना कर, मौत को हराकर...बेहद विशाल महासागर के तुफानो को चीरते हुए एक बार फिर से जिंदगी की तलाश कर ली थी।
Alvarenga को अपने आस पास का नज़ारा देख कर पता चल गया यहाँ कोई ILand मौजूद होगा। इसी उम्मीद में जब वो थोड़ा सा आगे बढ़ा तो सच में वहाँ एक Iland था। ये देख कर उसकी आँखों में कामयाबी की चमक आ गयी क्यूँ की पुरे 438 के सफर के बाद उसने जमीन को देखा था। दरअसल ये Marshal Islands है जो की प्रशांत महासागर किनारे से पुरे ११,००० km की दूरी पर था जहाँ आम इंसान का छोटी सी बोट से पहुंचा नामुमकिन था।
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| Marshal Islands |
जब Alvarenga ने उस Iland को देखा तो तुरंत समुद्र में छलांग लगाई क्यूँ की इस बार वो फिर तूफान का शिकार नहीं बनना चाहते थे। उन को तैर ने में दिक्कत आ रही थी क्यूँ की उनकी हालत अब बहुत ख़राब हो चुकी है। लेकिन किसी तरह वो उस Iland पहुंच ही जाते है। वहाँ पहुंचने पर जब उन्होंने अपने पैर ज़मीन रखें तब उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे उन्होंने अभी अभी चलना शुरू किया हो।
Iland पर पहुंच ने पर Alvarenga यहाँ वहाँ भटक ने लगा। भटकते समय उसे एक घर दिखाई देता है और वो घर का दरवाज़ा खटखटाता है। जब दरवाज़ा खुलता है तब उसके ख़ुशी कोई ठिकाना नहीं रहता क्यूँ की एक साल से भी ज्यादा दिनों के बाद उसने किसी इंसान को देखा होता है।
वो तो अच्छा हुआ की Alvarenga की बोट इस Iland के पास से गुज़री क्यूँ की ग़लती से भी वो अगर ये Iland Miss करता तो उसे और 5000 km आगे Philipins में ही ज़मीन नसीब होती। जहाँ पहुंच ने के लिए उसे लगभग १ साल और लग सकता था।
आगे कुछ ही दिनों में Rescue की मदत से उनको घर पहुंचाया गया। Alvarenga के इस अदम्य साहस के लिए उनका नाम The Guinise Book में दर्ज कराया गया जो की कभी कोई भी इंसान तोड़ने के बारे में सोच नहीं सकता।
दोस्तों हम सभी लोग अपने अपने जीवन में किसी ना किसी चीज पर निर्भर रहते है। जीने के लिए नई नई चीजों का Use करते है। यहाँ तक की कुछ चीजें हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा तक बन गयी है। इसीलिए हमें हमारे जीवन को किसी अन्य चीजों सहारे नहीं रखना चाहिए। खुद पर विश्वास और अकेलापन इंसान को कभी कमजोर नहीं बनाता।





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